1. हाथ कांगन को आरसी क्या? – प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण क्या
2. एक तो करेला आप तीता दूजे नीम चढ़ा – बुरे का और बुरे से संग होना
3. काला अक्षर भैंस बराबर – निरा अनपढ़
4. दमड़ी की हाँड़ी गयी, कुत्ते की जात पहचानी गयी – मामूली वस्तु में दूसरे की पहचान
5. हाथी के दाँत दिखाने के और, खाने के और – बोलना कुछ, करना कुछ
6. ओस चाटने से प्यास नहीं बूझती – अधिक कंजूसी से काम नहीं चलता
7. ऊँची दूकान फीका पकवान – बाहर ढकोसला भीतर कुछ नहीं
8. रस्सी जल गयी पर ऐंठन न गयी – बुरी हालत में पड़कर भी अभिमान न त्यागना
9. का बर्षा जब कृषि सुखाने – मौका बीत जाने पर कार्य करना व्यर्थ है
10. तेली का तेल जले और मशालची का सिर दुखे (धाती फाटे) – खर्च किसी का हो और बुरा किसी और को मालू हो
11. बूड़ा वंश कबीर का उपजा पूत कमाल – श्रेष्ठ वंश में बुरे का पैदा होना
12. लूट में चरखा नफा – मुफ्त में जो हाथ लगे, वही अच्छा
13. एक म्यान में दो तलवार – एक स्थान पर दो उग्र विचार वाले
14. ठठेरे-ठठेरे बदलौअल – चालाक को चालक से काम पड़ना
15. न देने के नौ बहाने – न देने के बहुत-से बहाने
16. मेढ़क को भी जुकाम – ओछे का इतराना
17. ऊँट किस करवट बैठता है – किसकी जीत होती है
18. काठ की हाँड़ी दूसरी बार नहीं चढ़ती – कपट का फल अच्छा नहीं होता
19. मियाँ की दौड़ मस्जिद तक – किसी के कार्यक्षेत्र या विचार शक्ति का सीमित होना
20. नाच न जाने आँगन टेढ़ा – खुद तो ज्ञान नहीं रखना और सामग्री या दूसरों को दोष देना।
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