प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुहावरे/लोकोक्तियाँ भाग - 02 (हिन्दी व्याकरण)


1. हाथ कांगन को आरसी क्या? – प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण क्या 

2. एक तो करेला आप तीता दूजे नीम चढ़ा – बुरे का और बुरे से संग होना 

3. काला अक्षर भैंस बराबर – निरा अनपढ़ 

4. दमड़ी की हाँड़ी गयी, कुत्ते की जात पहचानी गयी – मामूली वस्तु में दूसरे की पहचान 

5. हाथी के दाँत दिखाने के और, खाने के और – बोलना कुछ, करना कुछ 

6. ओस चाटने से प्यास नहीं बूझती – अधिक कंजूसी से काम नहीं चलता 

7. ऊँची दूकान फीका पकवान – बाहर ढकोसला भीतर कुछ नहीं 

8. रस्सी जल गयी पर ऐंठन न गयी – बुरी हालत में पड़कर भी अभिमान न त्यागना 

9. का बर्षा जब कृषि सुखाने – मौका बीत जाने पर कार्य करना व्यर्थ है 

10. तेली का तेल जले और मशालची का सिर दुखे (धाती फाटे) – खर्च किसी का हो और बुरा किसी और को मालू हो 

11. बूड़ा वंश कबीर का उपजा पूत कमाल – श्रेष्ठ वंश में बुरे का पैदा होना 

12. लूट में चरखा नफा – मुफ्त में जो हाथ लगे, वही अच्छा 

13. एक म्यान में दो तलवार – एक स्थान पर दो उग्र विचार वाले 

14. ठठेरे-ठठेरे बदलौअल – चालाक को चालक से काम पड़ना 

15. न देने के नौ बहाने – न देने के बहुत-से बहाने 

16. मेढ़क को भी जुकाम – ओछे का इतराना 

17. ऊँट किस करवट बैठता है – किसकी जीत होती है 

18. काठ की हाँड़ी दूसरी बार नहीं चढ़ती – कपट का फल अच्छा नहीं होता 

19. मियाँ की दौड़ मस्जिद तक – किसी के कार्यक्षेत्र या विचार शक्ति का सीमित होना 

20. नाच न जाने आँगन टेढ़ा – खुद तो ज्ञान नहीं रखना और सामग्री या दूसरों को दोष देना।

Previous Post
Next Post

About Author

0 comments: